दक्षिण भारत के तिरुमाला मंदिर में भगवान विष्णु प्रतिमा की पूरी ऊंचाई साढ़े छह फीट है, जबकि शेखपुरा के गवय गांव में खुदाई के दौरान मिली प्रतिमा की ऊंचाई 8 फुट 8 इंच लम्बी एवं तीन फुट 8 इंच चौड़ी है। वहीं, बरबीघा के सामस विष्णुधाम में भगवान विष्णु की 7 फीट 6 इंच ऊंची प्रतिमा है। जबकि चेवाड़ा प्रखंड के अंतर्गत आने वाले चकन्दरा गांव में भी साढ़े सात फीट ऊंची प्रतिमा है। जहां एक सौ वर्ष पहले से ही ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर भी बना है। इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर काले पत्थरों से निर्मित आकर्षक प्रवेश द्वार भी बना है। इसके साथ ही गवय गांव में भगवान विष्णु की तीन अन्य प्रतिमा है जो की पांच फीट ऊंची, चार फीट ऊंची और तीन फीट ऊंची है। इसके आलावा शेखपुरा के गिरिहिंडा पहाड़ पर अवस्थित कमेश्वरनाथ शिवमंदिर करीब 800 सौ फीट ऊंची पहाड़ी पर अवस्थित है। लोक गाथाओं में वर्णित है कि गिरिहिंडा पहाड़ के इस मंदिर पर शिवलिंग की स्थापना महाभारत काल के महाबली भीम ने की थी। वहीं बरबीघा प्रखंड के कुसेढ़ी गांव में पंचमुखी शिवलिंग है जो की भक्तों के मन्नतों को पूरा करने वाली है।

शेखपुरा की पहचान पुरातात्विक इतिहास को लेकर हजारों वर्षों से है। अपने गर्भ में पुरातात्विक ऐतिहासिक महत्व को समेटे रहने के कारण अब शेखपुरा को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में देश भर पहचान मिल सकती है जो की इस जिले विकास लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। जरूरत है इसके लिए सार्थक प्रयास करने का। शेखपुरा जिला प्राचीन अंग जनपद के पश्चिमी सीमांत पर अवस्थित मगध एवं अंग संस्कृति का संधि स्थल है। जिसका अतीत स्वर्णिम और उज्ज्वल रहा है। शेखपुरा शहर महाभारतकालीन महाबली भीम की नगरी, बौद्ध धर्म के प्रचारक गौतम बुद्ध की साधना स्थली और लोकपरोपकारी सम्राट शेरशाह की कर्मभूमि रही है।

उतर भारत का त्रिरुपति है सामस विष्णुधाम
बरबीघा थाना क्षेत्र के समस गांव स्थिति विष्णु धाम मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा पुरातात्विक इतिहास को लेकर पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखती है। यहां स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा दक्षिण भारत के तिरुपति में स्थित बालाजी की प्रतिमा से एक फीट अधिक ऊंची है। इसकी ऊंचाई 7 फीट 6 इंच है, जिसकी वजह से यह विश्व में पूजे जाने वाली विष्णु की सबसे ऊंची प्रतिमा है। यह प्रतिमा सामस गांव में तालाब में वर्ष 1992 को खुदाई के दौरान निकली थी। जिसे बाद में ग्राम स्तर पर एक मंदिर बनाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर दी गई तथा इसको लेकर अभियान चलाया जाने लगा। जिसके बाद बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष किशोर कुणाल की नजर इस पर पड़ी और आखिरकार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आकर लोगों को आश्वस्त किया कि इसका विकास पर्यटक क्षेत्र के रूप में किया जाएगा। इस प्रतिमा की खासियत यह है कि यह पाल काल का बना हुआ है तथा विष्णु के हाथ में शंख, चक्र, गदा और पद्म भी है। इसके विकास को लेकर तत्कालीन स्थानीय सांसद भोला सिंह के द्वारा संसद में उठाया गया था। इसी को लेकर उत्तर भारत के तिरुपति कहे जाने वाले सामस विष्णुधाम में पर्यटन की संभावनाओं को तलाशने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री भी यहां दौरा कर चुके हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में विष्णु धाम को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का आश्वासन दिया। इसको लेकर लगातार सहयोग का प्रयास जारी है। स्थानीय मंदिर विकास समिति के साथ ही जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि तथा धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के अलावा पुरातत्व से जुड़े लोग मंदिर के विकास को लेकर प्रयासरत है। यहां हरेक साल पांच दिवसीय देवोत्थान मेला आयोजित किया जा रहा है। जिसका समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है।

चकन्दरा गांव में भी भगवान विष्णु की प्रतिमा
चेवाड़ा प्रखंड के चकन्दरा गांव में भी भगवान विष्णु की आदमकद प्रतिमा है। यह प्रतिमा कब और कैसे मिली इसकी जानकारी तो नहीं है, लेकिन यहां एक सौ वर्ष से भी पहले सहयोग से मंदिर निर्मित है। जहां भगवान विष्णु की आदमकद प्रतिमा है जिसकी ऊंचाई साढ़े सात फीट है।इस मंदिर के प्रवेश द्धार पर भी काले संगमरमर से निर्मित है जो की कारीगरी का अद्धभुत नमूना है, जो की देखते ही बनता है। यहां कुछ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं। अरियरी प्रखंड के नवीनगर ककराड़ विष्णु की प्रतिमा पोखर में खुदाई के दौरान मिली है। यह प्रतिमा चार फीट तीन इंच ऊंची है।

गवय गांव में है देश की सबसे बड़ी भगवान विष्णु की खड़ी मुद्रा की प्रतिमा
शेखपुरा से मात्र 8 किलोमीटर की दुरी पर सदर प्रखंड के गवय गांव में भगवान विष्णु की देश की सबसे बड़ी प्रतिमा है। यह प्रतिमा सैकड़ों वर्ष पूर्व गांव के एक कुएं की खुदाई के दौरान मिला था जो कि काले ग्रेनाइट की आकर्षक आदमकद प्रतिमा है। पहले यह भारी भरकम प्रतिमा खुले आसमान के नीचे पड़ा था। जिसे ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर में स्थापित की गई है। भगवान विष्णु की यह प्रतिमा 8 फुट 8 इंच ऊंची एवं तीन फुट 8 इंच चौड़ी है। काले ग्रेनाइट की आकर्षक तथा कलात्मक विष्णु प्रतिमा देश की सबसे बड़ी प्रतिमा कही जा रही है। यहां भगवान बिष्णु की साढ़े आठ फीट से अधिक ऊंची एक प्रतिमा के अलावे भगवान विष्णु की तीन अन्य बड़ी प्रतिमा में से एक पांच फीट ऊंची, दूसरी चार फीट ऊंची और तीसरी तीन फीट ऊंची काले ग्रेनाइट की प्रतिमा भी है। यहां अग्निदेव की भी चार फिट ऊंची प्रतिमा है। सूर्यनारायण देव के अलावे गणेश, शिव पार्वती, आनंद भैरव देव की प्रतिमा है। जिसे लोगों ने मंदिर में स्थापित कर रखा है। ।

गिरिहिंडा पहाड़ पर भीम ने किया था शिवलिंग की स्थापना
महाभारत कालीन है शहर का गिरिहिंडा पहाड़ पर अवस्थित कामेश्वर नाथ शिव मंदिर लोकगाथाओं में वर्णित है कि गिरिहिंडा पहाड़ पर हिडिंबा नामक दानवी से महापराक्रमी महाबली भीम ने गंधर्व विवाह किया। जिसके बाद हुंडारक नामक पुत्र रत्न की प्राप्ति थी। लोगों की धारणा है कि भीम अपने निर्वासन काल दौरान गिरिहिंडा पहाड़ पर शिवलिंग स्थापना की थी। यही जगह वर्तमान में गिरिहिंडा पहाड़ के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल स्थापित शिवलिंग आज कामेश्वरनाथ शिवमंदिर में है। पहाड़ के करीब पांच सौ फीट चोटी पर अवस्थित शिव मंदिर शेखपुरा शहर को भगवान शिव का प्राचीन नगरी के रूप में गौरवान्वित करता है। इस प्राचीन मंदिर को देखने लिए पहाड़ पर जाने वाले श्रद्धालु प्राकृतिक की अनुपम छटा को देख वशीभूत हो जाते हैं और यहां बारबार आने की अपनी इच्छा जताते हैं। गिरिहिंडा पहाड़ की चोटी नीचे देखने पर टेढ़ी-मेढ़ी नदियों उजले रेत, बगीचों की झुरमुट तथा लहलहाते खेत अत्यंत मनोरम प्राकृतिक दृश्य उत्पन्न करता है। जिला प्रशासन द्वारा इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने हेतू पहाड़ चोटी पर बाल उधान, कैंटीन, फब्बारा, हाई मास्ट लाइट लगाया गया है। पहाड़ पर विश्राम गृह भी बनाया गया है। अब विवाह भवन भी बना दिया गया है। पहाड़ पर वाहन से जाने 2200 फीट लम्बे सड़क का भी निर्माण किया गया है। जिससे हर कोई आसानी से इस प्राचीन शिवमंदिर तक जा सकते हैं। पैदल पहाड़ पर अवस्थित मंदिर तक पहुंचने लिए सीढ़ी मार्ग का निर्माण एक दशक किया जा चूका है। जिसे रेलिंग देकर इसे पर्यटकों के लिए और आसान बनाया गया है।

आस्था का केंद्र है कुसेढ़ी गांव का पंचमुखी शिवलिंग
बरबीघा के कुसेढ़ी गांव स्थित शिव मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग अपने आप में अद्वितीय है। सैकड़ों वर्ष पूर्व स्थापित यह शिवलिंग लोगों के बीच आस्था का केंद्र है। इस दुर्लभ तथा प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग का दर्शन करने के लिए शेखपुरा जिला के अलावे दूरदराज के आसपास के जिलों से भी लोग यहां आते हैं। यह अपनी मन्नतों को पूरा करने वाले भगवान शंकर का एक प्रतिरूप में सर्वमान्य हैं। यहां हर महीने सोमवार को अच्छी खासी श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जाती है। लेकिन सावन मास के हर सोमवार पर यहां हजारों की तादाद में श्रद्धालु उमड़ती है। लोगों की मान्यता इस पंचमुखी शिवलिंग से इतनी है कि लोग वंशवृद्धि के साथ सौभाग्य की रक्षा व वैवाहिक आकांक्षा पूरी करते है। यहां शेखपुरा के अलावा लखीसराय, जमुई, नवादा समेत अन्य जगहों से सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन यहां पहुंचकर हर हर महादेव के उद्घोष के साथ पंचमुखी शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं ।

मटोखर दह मजार है हिन्दू -मुस्लिम धर्मालबियों का साम्प्रदायिक सौहार्द का केंद्र
जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर शेखपुरा-शेखोपुरसराय सड़क मार्ग पर मटोखर गांव के समीप अवस्थित मटोखर दह तालाब के निकट बना मजार सैयद शाह इशहाक मगरबी का मजार है जो की हिन्दू -मुस्लिम धर्मा लम्बियों के बीच साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करने वाला है। यहां पर जितनी संख्या में मुस्लिम धर्म के मानने वाले लोग आते हैं। उससे ज्यादा यहां हिन्दू धर्म से जुड़े पुरुष और महिलाएं बेहद आस्था के साथ पहुंचते हैं। लोगों की ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी हर मुरादें पूरी होती है। मटोखर दह के वृहद तालाब के किनारे छोटी पहाड़ी पर अवस्थित यह स्थल बेहद रमणीक स्थल पर है जो बरबस ही लोगों को लुभाता है। यहां हर सप्ताह गुरुवार एवं शुक्रवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालू पहुंचते हैं। वही शेखपुरा शहर में महान सूफी संत सैयद शाह शोएब जलाल मनेरी का मजार है जो कि बड़ी दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है।

बुद्ध की शेषनाग रक्षित प्रतिमा है ढेऊसा गांव में
अरियरी प्रखंड के नवीनगर ककराड़ गांव में भगवान बुद्ध की प्रतिमा सात मार्च 2014 को तालाब की खुदाई में मिली है। यह प्रतिमा भी अपने पुरात्तवविक इतिहास की लेकर चर्चित है। काला पत्थर से बनी यह प्रतिमा ग्रामीणों ने एक मंदिर के नीचे स्थापित है। चार दशक पूर्व सदर प्रखंड के ढेऊसा गांव में भगवान बुद्ध की प्रतिमा ग्रामीणों द्वारा स्थापित है। यह प्रतिमा शेखपुरा वासियों के भगवान बुद्ध के विचारों से जुड़ने का स्पष्ट गवाह है। निकटव्रती नालंदा से बौद्ध मठ शिक्षा केंद्र का विकसित का प्रभाव यहां भी था। ढाई हजार वर्ष पूर्व के जातकों में शेखपुरा के गावों की चर्चा है। शेखपुरा का पुराना जिला मुंगेर के प्रकाशित गजेटियर में चीनी यात्री ह्वेनसांग के गया से होकर जंगलों के रास्ते शेखपुरा पहुंचने की चर्चा है। जहां एक स्तूप भी देखा था, जहां भगवान बुद्ध ने रात्रि विश्राम किया था। शेखपुरा के बुधौली में उपदेश देने की चर्चा है। इसके साथ ही एकाढ़ा, मेहूंस आदि गांव में खंडित प्रतिमा मिली थी।

तालाब की खुदाई में इटहरा गांव में निकली सूर्यदेव की प्रतिमा
अरियरी प्रखंड क्षेत्र के इटहरा गांव में मिट्टी की खुदाई के दौरान तालाब से 3.5 फीट ऊंची काले ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित भगवान सूर्य प्रतिमा मिली। पहली जून 2018 को मिली प्रतिमा को स्थापित कर ग्रामीण इस स्थल पर आपसी सहयोग से भव्य सूर्य देव मंदिर निर्माण करने में जुटे हुए हैं। इसके लिए सैकड़ों ग्रामीणों ने श्रमदान के साथ ही आर्थिक सहयोग देकर मंदिर को पूर्ण करने को लेकर प्रयासरत हैं। इस संबंध में स्थानीय लोग बताते है कि इटहरा गांव स्थित कजरी तालाब मे एक जुन को ग्रामीण रधुवीर प्रसाद की नज़र पड़ी थी, तब से उस स्थान पर ही भगवान सूर्य देव की पुजा -पाठ की जाने लगी। ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से उक्त स्थल का नाम रधुवीर धाम रख दिया है। वहीं कमेटी बनाकर ग्रामीणों ने मन्दिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।



